#ArtFormsOfIndia: अब होगी मुलाकात फ्लिपकार्ट समर्थ और एनयूएलएम के साथ बड़े सपने देखने वाले कारीगरों से

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फ्लिपकार्ट समर्थ-एनयूएलएम साझेदारी के हिस्से के रूप में, भारत भर में बड़ी संख्या में कारीगर और शिल्पकार बिग बिलियन डेज़ का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं ताकि वे अपने अपने उत्पादों और कलाओं को प्रदर्शित कर सकें। तो फिर चलिए, फ्लिपकार्ट पर इस त्योहार के सीजन में उन कारीगरों का समर्थन करें और #ArtFormsOfIndia उत्पादों के निर्माण के बारे में जानने के लिए उनके होमटाउन को करीब से देखें।

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भारत की जटिल और सदियों पुरानी कलाकृतियों को बनाने और संरक्षित करने के लिए वारंगल, तेलंगाना से लेकर कुल्लू, हिमाचल प्रदेश तक लाखों कारीगर कई पीढ़ियों से काम कर रहे हैं। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय की दीनदयाल अंत्योदय योजना -राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (डीएवाई-एनयूएलएम), इन में कारीगरों और शहर की गरीब महिलाओं को उभरते हुए बाजारों तक अवसर प्रदान कराता है। जनवरी 2020 में एनयूएलएम ने कुशल श्रमिकों और कारीगरों को ई-कॉमर्स के दायरे में लाकर उन्हें और सशक्त बनाने के लिए फ्लिपकार्ट के साथ हाथ मिलाया।

जुलाई 2019 में शुरू किए गए फ्लिपकार्ट समर्थ का उद्देश्य भारत के कारीगरों, बुनकरों और सूक्ष्म उद्यमों को ई-कॉमर्स में आगे लाना है, जिससे अखिल भारतीय ग्राहक आधार तक उन्हें पहुंच प्रदान किया जा सके। यह कार्यक्रम सूचीकरण समर्थन, प्रशिक्षण सत्र, विज्ञापन क्रेडिट और बहुत कुछ प्रदान करता है, जिससे कम सेवा वाले वर्गों के लिए सहज एकीकरण और हिस्सेदारी को सक्षम किया जा सके।

एनयूएलएम-फ्लिपकार्ट समर्थ साझेदारी 25 राज्यों तक फैली हुई है, जो प्रत्येक राज्य के कारीगरों को अद्वितीय और पारंपरिक उत्पादों को एक आम मंच पर लाने के लिए प्रोत्साहित करती है। अगर आप जानना चाहते हैं कि आपका उत्पाद कहां से आता है, इसे कैसे बनाया और तैयार किया जाता है, तो इस साझेदारी के तहत कुछ कारीगरों और उनके हस्तनिर्मित व प्रामाणिक उत्पादों पर एक नज़र डालें।


कुल्वी टोपी और मफलर

कुल्लू, हिमाचल प्रदेश

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कुल्वी टोपी हिमाचल प्रदेश का एक पारंपरिक उत्पाद है, जो कुल्लू के निवासियों के लिए गौरव और हर्ष की बात है। सपाट शीर्ष के साथ गोल आकार वाली टोपी, को इसकी रंगीन कढ़ाई से आसानी से पहचाना जा सकता है, जिसमें कई प्रकार के पैटर्न बड़ी कुशलता से बुने हुए होते हैं। इसे आमतौर पर स्थानीय ऊनी धागों से छोटी खड्डी पर बुना जाता है। यह टोपी 100% हस्तनिर्मित होती है, जिसमें स्थानीय ऊनी यार्न का भी इस्तेमाल किया जाता है। घाटी में कई लोग हिमाचल की सर्द सर्दियों में खुद को गर्म रखने के लिए इन टोपियों को पहनते हैं, और यह पारंपरिक कुल्लू पोशाक का एक अविभाज्य हिस्सा भी है, जिसे विवाह, त्योहारों, धार्मिक कार्यों, स्थानीय कार्यक्रमों और समारोहों जैसे विशेष अवसरों पर पहना जाता है।

कारीगर से मिलें

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू की हिमालयी घाटी से 20 से अधिक महिलाओं के स्वयं सहायता समूह (एसएचजी), फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध क्षेत्र के प्रसिद्ध ऊनी वस्त्रों को हाथ से तैयार करते हैं। कई महिलाएं इन उत्पादों को सीधे अपने घरों या गांवों में सरकार द्वारा प्रदान किए गए कार्यस्थलों से बनाती हैं। जैसे-जैसे उन्हें ई-कॉमर्स के माध्यम से अधिक सफलता मिलती है, उनके पास इन उत्पादों को बनाने में अधिक महिलाएं शामिल होती हैं।

उनके बारे में जानने के लिए यह वीडियो देखें:

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वारंगल धुरियां

वारंगल, तेलंगाना

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वारंगल की धूरी बनाने की कला काफी जटिल है, पिट-एंड-फ्रेम लूम के जरीए वर्षों की कड़ी मेहनत के बाद विभिन्न रंगों के धागों को एक चमकदार डिजाइन में बदला जाता है। तेलंगाना के वारंगल जिले में सैकड़ों कारीगरों द्वारा उत्कृष्ट रूप से बनाए गए डिजाइन, तेलंगाना की हथकरघा परंपरा का गौरव माने जाते हैं। कम से कम ज़िग-ज़ैग डिज़ाइन, स्थायित्व और बहुमुखी प्रतिभा दुनिया भर में इसे लोकप्रिय बनाती है, इस शिल्प को हाल ही में भौगोलिक संकेत (जीआई) प्रमाणपत्र टैग प्राप्त हुआ है।

कारीगर से मिलें

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लंबे समय तक चलने वाली और उपयोगी, वारंगल के बुनकरों द्वारा 100% सूती धागे का उपयोग करके धूरियां बनाई जाती हैं। फ्लिपकार्ट समर्थ-एनयूएलएम साझेदारी के तहत, उत्पादों का निर्माण जिले में श्री साई स्वयं सहायता समूह द्वारा किया जाता है।

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जलकुम्भी की टोकरियाँ

नागांव, असम

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मकदार पत्तियों के साथ तैरने वाला बारहमासी जलीय पौधा, जलकुंभी दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाले पौधों में से एक है। असम के नागांव में, एनयूएलएम से जुड़े एक स्वयं सहायता समूह (SHG) ने इससे टोकरियाँ की बुनाई कर बेहद ही रचनात्मक तरीके से इसका उपयोग करना शुरू किया है। एसएचजी सदस्य इसे अपने इलाके के पास एक मृत नदी, कोलॉन्ग नदी से इकट्ठा करते हैं। जलकुंभी की कटाई के बाद, जड़ों और पत्तियों को हटा दिया जाता है और तनों को सूखने के लिए धूप में रखा जाता है। 5-7 दिनों के बाद, सूखे तनों को इकट्ठा करके एक सूखी जगह में बंडलों के रूप में संग्रहित किया जाता है। अंत में, स्वयं सहायता समूह के सदस्य उससे एक बैग या टोकरी बुनते हैं या फिर बनाते हैं।

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कई महिलाएँ जो एसएचजी का हिस्सा हैं वे जलकुम्भी से सामग्री बनती हैं। नागांव शहर के लख्याज्योति एसएचजी के सदस्य साथ मिलकर महिलाओं के लिए हैन्ड्बैग, छोटे बटुए और बाल्टियाँ बनाते हैं।

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चंबा की पीतल की थाली

चंबा जिला, हिमाचल प्रदेश

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हिमाचल प्रदेश का चंबा जिला धातु ढलाई के लिए जाना जाता है। चम्ब्याली थाल बनाने का काम चंबा रियासत के जमाने से चला आ रहा है। भरमौर और चंबा के कई मंदिरों को इन धातु की नक्काशी के लिए जाना जाता है।

धातु की प्लेट में विभिन्न डिज़ाइन और बॉर्डर होते हैं, जिन्हें रेप्यूज़ नामक एक पुरानी तकनीक का उपयोग करके उभरा जाता है, साथ ही इन डिज़ाइन को उभारने के लिए हथौड़ों और अन्य उपकरणों का भी उपयोग किया जाता है। पारंपरिक चंबा पौराणिक देवताओं से लेकर स्थानीय मंदिरों या पहाड़ी लघुचित्रों की मूर्तियों की प्रतिकृति तक हैं।

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फ्लिपकार्ट पर चंबा मेटल प्लेट उत्पाद कलाकृति, स्वयं सहायता समूह के 5 सदस्यों द्वारा बनाए गए हैं और 10 से अधिक वर्षों से इस शिल्प पर काम कर रहे हैं।

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भैरवगढ़ प्रिंट

उज्जैन, मध्य प्रदेश

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ज्जैन शहर में उत्पन्न होने वाली एक प्राचीन कला, भैरवगढ़ प्रिंट तकनीक 200 वर्ष से अधिक पुरानी मानी जाती है।

एक समय लेने वाली प्रक्रिया, भैरवगढ़ प्रिंट पर जटिल रूपांकनों को पिघले हुए मोम का उपयोग करके बनाया जाता है। मोम को धीरे-धीरे गैस की आग पर तब तक गर्म किया जाता है जब तक कि यह पिघलकर रेत से ढकी मेज पर नहीं चला जाता है, जहां एक धातु की छड़ पर नारियल की भूसी बांधकर बनाई गई स्टाइलस के साथ एक कपड़े पर मोम के पैटर्न तैयार किए जाते हैं। मोम के सूखने के बाद कपड़े को मनचाहे रंग में रंगा जाता है।

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पीढ़ियों से चली आ रही, उज्जैन में मदनी स्वयं सहायता समूह, अपने परिवारों के साथ, आजीविका कमाने के लिए इस कला का अभ्यास करते हैं।

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चाँदी की जरदोजी

करीमनगर, तेलंगाना

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तेलंगाना का करीमनगर क्षेत्र कई उच्च कुशल कलाकारों का इलाका माना जाता है, जो समृद्ध और नाजुक जरदोजी उत्पाद बनाते हैं। नाजुक चांदी के धागों को टेढ़े-मेढ़े पैटर्न में फंदों में घुमाया जाता है जो उन्हें एक सुस्पष्ट लेस जैसा रूप देता है। इन पट्टियों और महीन चांदी को आगे कलात्मक रूपांकनों के रूप में एक साथ मिलाया जाता है।

दिलचस्प बात यह है कि चाँदी की जरदोजी 17वीं से 19वीं शताब्दी के इतालवी और फ्रांसीसी धातु के काम में भी देखी जा सकती हैं। करीमनगर चाँदी की जरदोजी को 2007 में बौद्धिक संपदा अधिकार संरक्षण या भौगोलिक संकेत (जीआई) का दर्जा भी मिला।

कारीगर से मिलें

ये फिलीग्री ब्रोच तेलंगाना के करीमनगर में चिलुकुरी बालाजी स्वयं सहायता समूह और उनके परिवारों द्वारा निर्मित किए जाते हैं। इस कला को लुप्त होने से बचाने में बड़ी इनकी एक भूमिका रही है, क्योंकि वर्षों से ये लोग इन उत्पादों का निर्माण कर रहे हैं। कई पीढ़ियों से चली आ रही, जरदोजी का काम तेलंगाना में करीमनगर जिले के कलात्मक और सांस्कृतिक गौरव का प्रतिनिधित्व करता है। महीन चांदी के काम में महारत पाना एक बड़ा काम है, और इसलिए केवल कुशल शिल्पकारों को ही इस परंपरा में निपुण माना जाता है।


अंकोड़ी

अहमदाबाद, गुजरात

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अं कोड़ी, जिसे गुंथन कला के नाम से भी जाना जाता है, क्रोकिंग का एक रूप है जो गुजरात के लिए स्वदेशी है। यह एक अनूठा शिल्प है जिसमें सुनहरे धागों का उपयोग किया जाता है। यह पूरी तरह से हस्तनिर्मित होता है, जिसमें हैंड बैग से लेकर पर्स तक सभी प्रकार के वस्तुओं के निर्माण के लिए केवल एक सुई का उपयोग किया जाता है ।

कारीगर से मिलें

अहमदाबाद में स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी अत्यधिक कुशल महिला कारीगर 2001 से इन उत्पादों का निर्माण कर रही हैं। उनका कहना है कि फ्लिपकार्ट पर अपने उत्पादों को बेचने से उनके शिल्प में सफलता और दृश्यता आई है। साथ ही कारीगरों के आय में भी वृद्धि हुई है, जिससे वे अपने छोटे व्यवसायों के लिए बड़े सपने पा रहे हैं।

भारती शारदा, मास्टर डिज़ाइनर

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मैं अपने काम को लेकर बहुत जुनूनी हूं और फ्लिपकार्ट के द बिग बिलियन डेज का हिस्सा बनकर खुश हूं। मेरा मानना है कि जब आप हमारे उत्पाद को खरीदते हैं तो इससे छोटे स्थानीय व्यवसायों का समर्थन मिलता है जिससे इसे अगले स्तर तक ले जाने में काफी मदद मिलती है। साथ ही इससे महिला उद्यमियों को भी बहुत प्रोत्साहन मिलता है। जब लोग हमारे उत्पाद को फ्लिपकार्ट जैसे बड़े प्लेटफॉर्म पर देखते और खरीदते हैं, तो यह निश्चित रूप से हमारे बिक्री का क्षेत्र बढ़ाता है और इससे हमारी आय भी बढ़ती है।

हम सभी द बिग बिलियन डेज का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। यह हमारे लिए एक बड़ा अवसर है और हम फ्लिपकार्ट समर्थ के साथ बड़ी बिक्री और अधिक दृश्यता की उम्मीद कर रहे हैं।

कविता बेन, कारीगर

हम आस-पास के स्थानीय बाजारों में उत्पाद बनाते और बेचते थे, लेकिन अब फ्लिपकार्ट पर अपने उत्पादों को बेचने और बढ़ने का भी अवसर है। अधिक लोग अब हमारी कला और प्रतिभा के बारे में जानेंगे, इससे दुनिया भर में जागरूकता बढ़ेगी और हमें आय का एक बेहतर स्रोत प्रदान होगा।

हमें खुशी है कि हमारे छोटे उत्पाद फ्लिपकार्ट पर लाइव होने जा रहे हैं। हम बड़े पैमाने पर बिक्री की उम्मीद करते हैं जो हमारे व्यापार को बढ़ाने में मदद करेगी।

शीतल बेन, कारीगर

हम जमीनी स्तर पर छोटी महिला उद्यमी हैं। फ्लिपकार्ट समर्थ के साथ हम अपने व्यवसाय और आय दोनों में बढ़ोतरी को देख रहे हैं। हम, छोटे पैमाने के श्रमिकों के रूप में, दैनिक आधार पर कमाते हैं। अब, हमें फ्लिपकार्ट पर अपनी प्रतिभा और हस्तनिर्मित वस्तुओं को प्रदर्शित करने का अच्छा मौका मिला है। मुझे लगता है कि द बिग बिलियन डेज़ के दौरान हमारी कमाई अच्छी होगी और हमें एक अच्छा अवसर मिलता हुआ दिखाई दे रहा है।

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भद्रकाली फूल उत्पाद – धूप बत्ती

वारंगल, तेलंगाना

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भ[/dropcap द्रकाली धूप उत्पादों को गुलाब की पंखुड़ियों के पाउडर और लोबान नामक एक आयुर्वेदिक सामग्री का उपयोग करके बनाया जाता है। इन ऑर्गेनिक धूप का उपयोग ध्यान और धार्मिक समारोहों में किया जाता है।</p> <p><b>Meet the makers</b><br /> This product is manufactured by Adarsha City Level Federation. Over 10 women’s Self Help Groups earn their livelihood at this unit.</p> <p><b>कारीगर से मिलें</b></p> <p>यह उत्पाद आदर्श सिटी लेवल फेडरेशन द्वारा निर्मित है। इस इकाई की मदद से 10 से अधिक महिलाएं स्वयं सहायता समूह के जरीए अपना जीवनयापन करती हैं।</p> <hr /> <h3>शशि मस्तानी नौवारी पाताल (लुगड़ा)</h3> <p><b>नागपुर, महाराष्ट्र</b></p> <p><img class="aligncenter size-full wp-image-58162" src="https://storiesflistgv2.blob.core.windows.net/stories/2021/10/NULM_Samarth_FKS-1.jpg" alt="artisan" width="800" height="450" /></p> <p>[dropcap]नौवारी महाराष्ट्र राज्य में बनने वाली नौ गज की साड़ी है, और इसका नाम इस कपड़े की लंबाई से लिया गया है।ड्रेपिंग की इसकी अनूठी शैली इस परिधान की पहचान में से एक है और इसका इतिहास काफी पूराना है।

कारीगर से मिलें

इन नौवारी साड़ियों को महाराष्ट्र के नागपुर शहर के स्नेहल महिला बचत गट की महिलाओं ने तैयार किया है। उनमें से कई को एनयूएलएम ने अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए पूंजी के साथ समर्थन दिया है, और महिलाएं अब कई अन्य लोगों को शिल्प सिखा रही हैं।


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